बहुत ही नाजो से चूमा उसने लबो को मेरे मरते वक्त कहने लगे मंजिल आखरी है रास्ते मे कही प्यास न लग जाए काश तू सुन पाती खामोश सिसकिया मेरी आवाज़ कर के रोना मुजे आज भी नहीं आता एक ही मसला जिंदगी भर हल न हुआ नींद पूरी न हुई ख्वाब मुकम्मल न हुआ तक़दीर ने,फ़लक ने,मोहब्बत ने,इश्क़ ने, जिस ने भी चाहा,मेरा तमाशा बना दिया
सायरों की महफिल