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Showing posts from March, 2017
बहुत ही नाजो से चूमा उसने लबो को मेरे मरते वक्त  कहने लगे मंजिल आखरी है रास्ते मे कही प्यास न लग जाए  काश तू सुन पाती खामोश सिसकिया मेरी  आवाज़ कर के रोना मुजे आज भी नहीं आता  एक ही मसला जिंदगी भर हल न हुआ  नींद पूरी न हुई ख्वाब मुकम्मल न हुआ  तक़दीर ने,फ़लक ने,मोहब्बत ने,इश्क़ ने, जिस ने भी चाहा,मेरा तमाशा बना दिया
चेहरा देख कर इंसान पहचानने की कला थी मुझमें , तकलीफ़ तो तब हुई जब इन्सानों के पास चेहरे बहुत थे...!! पाकीज़ा दिलों की तो कुछ बात ही अलग है मिलते है जिससे भी वजूद महक जाता है लफ़्जों का वज़न उससे पूछो , जिसने उठा रखी हो ख़ामोशी लबों पर !!